हमनें अपमान सहा, प्रताड़ना झेली, पर लड़े, जीते और बने ऐतिहासिक जीत के हीरो

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We endured insults, faced harassment, but fought and won

किसी शायर ने क्या खूब कहा है, ‘बहुत गुरूर है तुझ को ऐ सर-फिरे तूफां मुझे भी जिद है कि दरिया को पार करना है’। हम बात कर रहे हैं उस ऑस्ट्रेलियाई तूफान की जिससे लड़ते-टकराते-जख्मी होते भारतीय टीम ने दरिया पार कर ली। जी हां भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे अभेद्द किले गाबा को फतह कर कंगारुओं के गुरूर को चकनाचूर कर दिया है। आज टीम इंडिया के इस ऐतिहासिक विजय पर चारों तरफ जश्न का माहौल है और हो भी क्यों ना, जिस तरह से चोट खाने के बाद हर बार टीम ने खुद को खड़ा किया और सफलता हासिल की है वो भारतीय क्रिकेट इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गई है।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जिस तरह से भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज का आगाज किया और फिर आज जिस अंदाज में उसका अंत किया, वो हमेशा दुनिया के लिए एक मिसाल रहेगी। शायर मिर्जा अजीम बेग ने क्या खूब ही कहा, ‘गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले।’

मतलब ये है कि सफलता में तो हर कोई जश्न मनाता है लेकिन तारीफ तो तब है, जबकि हम खुद को मिली नाकामी को ही अपनी कामयाबी की कुंजी मान लें। यह कठिन तो जरूर है, पर असंभव हरगिज नहीं और कुछ यही कहानी है भारतीय क्रिकेट टीम की।

एडिलेड में शर्मसार हुई टीम इंडिया

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड से टेस्ट सीरीज का आगाज हुआ। विराट कोहली की अगुवाई में टीम इंडिया ने पहली पारी में 53 रनों की बढ़त हासिल की और मैच में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। हालांकि यहां से शुरू हुई भारत के पतन की कहानी। बढ़त के बावजूद पूरी भारतीय टीम दूसरी पारी में अपने टेस्ट इतिहास के सबसे कम 36 रन पर सिमट गई। हालात यह थी कि विराट, पुजारा, रहाणे जैसे दिग्गज समेत कोई भी खिलाड़ी दोहरे अंक के स्कोर में नहीं पहुंच पाया। भारत की इस दुर्गति की सजा उसे ढाई दिन में ही आठ विकेटों से हार के रूप में मिली।

मेलबर्न से पहले कप्तान कोहली और शमी टीम से अलग हुए

एडिलेड में शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया के सामने अचानक से कई चुनौतियां खड़ी हो गईं। विराट कोहली पितृत्व अवकाश लेकर भारत लौट आए तो मुख्य गेंदबाज मोहम्मद शमी चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो गए। अब टीम की कमान अजिंक्य रहाणे के हाथों में सौंपी गई। यहां भारतीय टीम की वापसी की किसी को कोई उम्मीद नहीं थी और सभी ऑस्ट्रेलिया के क्लीन स्वीप की बात करने लगे। विराट और शमी की गैरमौजूदगी में टीम को संभालना और फिर से खड़ा करना रहाणे के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी।

मेलबर्न में जोरदार वापसी के साथ किया फतह

भारतीय टीम ने मेलबर्न टेस्ट के लिए चार बदलाव किए। विराट की जगह जहां शुभमन गिल को लाया गया वहीं शमी की जगह मोहम्मद सिराज को मौका दिया गया। यही नहीं पृथ्वी की जगह रविंद्र जडेजा और ऋद्धिमान साहा की जगह पर ऋषभ पंत को शामिल किया गया। अब बारी थी खुद को खड़ाकर जीत हासिल करते हुए सीरीज में वापसी की और भारतीय टीम ने यही किया। रहाणे ने जहां आगे बढ़कर टीम का नेतृत्व किया तो वहीं बुमराह और जडेजा ने पूरी जान झोंक दी। शमी की गैरमौजूदगी में बुमराह ने गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व किया और ऑस्ट्रलियाई टीम को पहली पारी में 195 और दूसरी पारी में 200 पर समेटने में सफल रही। हालांकि एक बार फिर से यहां भारतीय बल्लेबाजी लड़खड़ाती दिखी और उसने 173 रनों के स्कोर पर अपने पांच विकेट गंवा दिए। लेकिन इसके बाद रहाणे (112) और रविंद्र जडेजा (57) ने जबरदस्त बल्लेबाजी की और 121 रनों की साझेदारी कर मुश्किल में फंसी टीम को ना सिर्फ उबारा बल्कि मैच भी अपने नाम कर लिया।

सिडनी में खाई चोटें, सुनी गालियां लेकिन हार नहीं मानी

मेलबर्न जीतने के बाद भारतीय टीम के हौसले बुलंद हो चुके थे। दोनों टीमें यहां सीरीज में बराबरी पर खड़ी हो चुकी थीं। लेकिन भारतीय टीम के लिए अभी चुनौतियां खत्म नहीं हुई थीं। सिडनी में तीसरे टेस्ट में भी टीम को उमेश यादव की चोट का सामना करना पड़ा और प्लेइंग इलेवन में बदलाव करने पड़े। हालांकि टीम को अब रोहित शर्मा का साथ जरूर मिला।

स्मिथ का शतक

अब बारी थी मैदान में उतरकर एक और जंग की, लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया डेविड वार्नर और विल पुकोवस्की के आने से अधिक खतरनाक हो गई थी, हुआ भी यही मेजबान टीम ने स्टीव स्मिथ (131) के शतक, मार्नस लाबुशेन (91) और पुकोवस्की (62) की अर्धशतकीय पारियों के दम पर 338 रन बनाए। जवाब में टीम इंडिया 244 रन पर ही सिमट गई, जिसकी वजह से कंगारुओं को 94 रन की बढ़त मिल गई। दोबारा बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर से स्मिथ (81), लाबुशेन (73) और ग्रीन (84) के दम पर 300 से अधिक का स्कोर बनाया और भारत के सामने 406 रनों का विशाल लक्ष्य रख दिया।

सिराज पर नस्लीय टिप्पणी

मैच के दौरान ही भारतीय टीम को अपमान भी सहना पड़ा। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने मोहम्मद सिराज को अपशब्द कहे और उनपर नस्लीय टिप्पणियां भी की। इसकी वजह से मैच को भी रोकना पड़ा और बाद में छह दर्शकों को स्टेडियम से बाहर किया गया।

पंत की आतिशी पारी

इन सबके बीच आखिरी दिन का खेल शुरू हुआ और भारत ने लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया लेकिन 92 रन पर ही उसके दोनों सलामी बल्लेबाज पवेलियन लौट गए। हालांकि इसके बाद पंत को ऊपर के क्रम में भेजा गया और उन्होंने 118 गेंदों में 97 रनों की पारी खेलकर मैच का रुख बदल दिया। उन्होंने पुजारा के साथ मिलकर चौथे विकेट के लिए 148 रन जोड़े। एक समय ऐसा लग रहा था कि मैच भारत की मुट्ठी में आ जाएगा लेकिन खेल यहां खत्म नहीं हुआ था।

अश्विन-विहारी की 258 गेंदों की साझेदारी

पंत और पुजारा दोनों 272 रन के स्कोर तक पवेलियन लौट गए थे, वहीं अंगूठे में फ्रैक्चर की वजह से जडेजा पवेलियन में ही बैठे रहे। अब भारत की तरफ से चोटिल हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन बल्लेबाजी करने उतर। यहां टीम इंडिया के सामने अब मैच बचाने की चुनौती थी क्योंकि भारत के पास इसके बाद कोई अन्य बल्लेबाज नहीं बचा था। लेकिन यहां से दुनिया को दोनों खिलाड़ियों की जीवटता और जुझारूपन देखने को मिला। अश्विन और विहारी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के आगे टिककर खड़े हो गए और एक भी विकेट नहीं गिरने दिया। दोनों ने पूरे दिन बल्लेबाजी की और गेंदों की अद्भुत साझेदारी की। चोट के बावजूद दोनों खिलाड़ियों ने कुल 258 गेंदें खेल डाली और मैच ड्रॉ करवा ले गए।

गाबा में रचा इतिहास

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चुनौतियों से भरी टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की चुनौती अभी खत्म नहीं हुई थी। ब्रिस्बेन में निर्णायक टेस्ट में उतरने से पहले टीम के चार प्रमुख खिलाड़ी हनुमा विहारी, जसप्रीत बुमराह, रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन चोटिल होकर बाहर हो गए थे। अब रहाणे और टीम प्रबंधन के आगे सबसे बड़ी चुनौती थी बचे हुए खिलाड़ियों में से प्लेइंग इलेवन का चुनाव करना। टीम ने मैच के दिन आखिरकार चार बदलावों के साथ अपने 11 खिलाड़ियों को मैदान पर उतार दिया। इसमें नेट बॉलर वाशिंगटन सुंदर और टी नटराजन को डेब्यू का मौका दिया गया जबकि सिराज को तीसरे ही टेस्ट में गेंदबाजी आक्रमण की कमान सौंपी गई। इनके अलावा शार्दुल ठाकुर को भी मौका मिला और मयंक अग्रवाल की वापसी हुई।

बात करें मैच की तो ऑस्ट्रेलिया ने भारत के अनुभवहीन गेंदबाजों का सामना करते हुए लाबुशेन (108) की शतकीय पारी और टिम पेन के अर्धशतक की मदद से पहली पारी में 369 रन बना डाले। जवाब में भारतीय टीम एक बार फिर से लडख़ड़ा गई और 186 रन पर अपने छह विकेट गंवा दिए। इस वक्त ऐसा लग रहा था कि टीम इंडिया 200 के अंदर ही ढेर हो जाएगी और ऑस्ट्रेलिया बड़ी बढ़त हासिल कर लेगा। लेकिन तब डेब्यूटेंट वाशिंगटन सुंदर और अपना दूसरा मैच खेल रहे शार्दुल ठाकुर ने सभी को चौंका दिया। दोनों ने अपना पहला अर्धशतक लगाने के साथ 123 रनों की मजबूत साझेदारी की और टीम के स्कोर को 300 के पार ले गए और ऑस्ट्रेलिया के साथ अंतर को 33 रनों का कर दिया।

अब दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम ने शुरुआत शानदार की लेकिन सिराज और शार्दुल की खतरनाक गेंदबाजी के आगे पूरी टीम 294 रन पर सिमट गई और भारत को 328 रनों का लक्ष्य दे दिया। सिराज ने तीसरी पारी में पांच तो शार्दुल ने चार विकेट चटकाए।

आखिरी दिन भारत ने लक्ष्य का पीछा करते हुए 18 रन पर रोहित का विकेट गंवा दिया। लेकिन इसके बाद शुभमन (91) और पुजारा (56) ने पारी को संभाला। दोनों ने मिलकर 114 रन जोड़े। इसके बाद अंत में ऋषभ पंत ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और 138 गेंदों में नाबाद रहते हुए 89 रन बनाए और मैच भारत की झोली में डाल गए।

गाबा की जीत के हीरो

मोहम्मद सिराज

भारत की इस ऐतिहासिक जीत में सिराज ने कमाल का प्रदर्शन किया। सिराज ने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में 73 रन देकर पांच विकेट चटकाए। अपने टेस्ट करियर में पहली बार पारी में उन्होंने पांच विकेट लेने का कमाल किया। हालांकि सिराज को पहली पारी में एक ही विकेट से संतोष करना पड़ा।

ऋषभ पंत

ऋषभ पंत ने अपने बल्ले से महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उन्होंने पहली पारी में 23 रन पर ही आउट हो गए थे। मगर दूसरी पारी में पंत ने 89 रनकी नाबाद पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 138 गेंदों का सामना किया। नौ चौके और एक गगनचुंबी छक्का भी जमाया। मैन ऑफ द मैच ऋषभ पंत को अग्रवाल से पहले भेजने का मतलब साफ था कि भारत जीतने का प्रयास करेगा। तीसरे सत्र में कुछ समय तक संभलकर खेलने के बाद उन्होंने हाथ खोलने शुरू किए।

वाशिंगटन सुंदर

चौथे टेस्ट में डेब्यू करने करने वाले वाशिंगटन सुंदर उम्दा गेंदबाजी की। उन्होंने पहली पारी में तीन जबकि दूसरी पारी में एक विकेट चटकाए। सुंदर ने बल्लेबाजी में भी कमाल का प्रदर्शन किया। पहली पारी में उन्हेंने 144 गेंदों में 62 रन की अर्धशतकीय पारी खेली। इस दौरान उन्होंने सात चौके और एक छक्के लगाए। सातवें विकेट के लिए सुंदर और शार्दुल के बीच 123 रन की शतकीय साझेदारी हुई। वाशिंगटन सुंदर (22) ने दूसरी पारी में ऋषभ पंत का बखूबी साथ निभाया। सुंदर ने कमिंस की लगातार गेंदों पर छक्का और चौका लगाकर माहौल बदला। पंत के साथ छठे विकेट के लिए 53 रन जोड़कर वह लियोन की गेंद पर बोल्ड हो गए।

शुभमन गिल

पहली पारी में केवल सात रन बनाने वाले शुभमन गिल ने दूसरी पारी में शतक से चूक गए। इस युवा बल्लेबाज ने दूसरी पारी में 146 गेंदों में 91 रन की शानदारी पारी खेली। इस दौरान उन्होंने आठ चौके और दो छक्के लगाए। शुभमन गिल शतक से चूक गए, लेकिन उन्होंने 91 रन की प्रवाहमय पारी खेली। इस 21 वर्षीय बल्लेबाज ने सहजता से कट और ड्राइव किए और कुछ शार्ट पिच गेंदों खूबसूरत पुल शॉट भी लगाए। दूसरे अर्धशतक को शतक में तब्दील करने से पहले वह नाथन लियोन की ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद को ड्राइव करने की कोशिश आउट हो गए।

चेतेश्वर पुजारा

टेस्ट में बेस्ट माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने पहली पारी में 25 और दूसरी पारी में 56 रन की अर्धशतकीय पारी खेली। पुजारा ने 196 गेंदों में अपना 28वां अर्धशतक पूरा किया जो उनका सबसे धीमा पचासा भी है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने 80 ओवर के बाद नई गेंद ली और कमिन्स ने दूसरी गेंद पर ही भारतीय दीवार को पगबाधा आउट कर दिया। पुजारा ने डीआरएस भी लिया, लेकिन बच नहीं पाए। पुजारा ने गिल के साथ 240 गेंदों पर 114 और पंत के साथ 141 गेंदों पर 61 रन की उपयोगी साझेदारियां की।

शार्दुल ठाकुर

शार्दुल ठाकुर ने पहली पारी में तीन विकेट चटकाए। वहीं, दूसरी पारी में ठाकुर ने 61 रन देकर चार विकेट झटके। शार्दुल ठाकुर न सिर्फ एक बेहतरीन गेंदबाज हैं, बल्कि एक अच्छे हिटर भी हैं। शार्दुल ने 115 गेंदों में नौ चौके और दो छक्के की मदद से 67 रन की अर्धशतकीय पारी खेली। दूसरी पारी में वह आसान कैच दे बैठे।

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