सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने से पहले समझ लें नए नियम, हो सकती है 5 साल तक की सजा

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Social Media Guidelines and Rules

केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसे ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेयर का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश (Social Media Guidelines and Rules) जारी कर दिए। इसके तहत सरकार द्वारा चिह्नित की गई किसी भी सामग्री को 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। साथ ही देश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा। ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्मों को देश की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ राष्ट्रविरोधी संदेशों के मूल स्रोतों की पहचान करनी होगी। अपराध सिद्ध होने पर 5 वर्ष तक की सजा हो सकती है।

यह व्यवस्था भारत की अखंडता, एकता और सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था, दूसरे देशों से रिश्तों, दुष्कर्म और यौन शोषण जैसे मामलों पर लागू होगी। इसके अलावा, इन कंपनियों को हर महीने शिकायतों और उन पर कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी। खास बात यह है कि इन दिशा-निर्देशों के जरिये पहली बार डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया को कानून के दायरे में लाया गया है। इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नाम से जारी इन दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी देते हुए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, भारतीय अपनी रचनात्मकता दिखाने, सवाल पूछने, जानकारी देने, अपनी राय रखने और सरकार की आलोचना करने में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं।

सरकार लोकतंत्र के आवश्यक तत्व के रूप में प्रत्येक भारतीय के आलोचना और असहमति के अधिकार को स्वीकार करती है और उसका सम्मान करती है। भारत सबसे बड़ा खुला इंटरनेट समाज है और सरकार भारत में काम करने, व्यापार करने और मुनाफा कमाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों का स्वागत करती है। हालांकि, उन्हें भारत के संविधान और कानूनों के प्रति जवाबदेह होना पड़ेगा। वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ओटीटी प्लेटफॉर्म पर परोसी जा रही सामग्री को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थी। संसद के दोनों सदनों में लगातार इससे संबंधित मामले उठ रहे हैं, इसलिए सरकार को आगे आकर इनके लिए नियम बनाने पड़े हैं। सरकार द्वारा ये दिशा-निर्देश तब जारी किए गए हैं, जब हाल ही में किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर पर ऐसे मेसेजों की बाढ़ आ गई थी। तब सरकार ने ट्विटर से राष्ट्रविरोधी मेसेज भेजने वाले 1,500 अकाउंट को बंद करने को कहा था।

ये हैं नए दिशा निर्देश

सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट लिखने पर पांच साल जेल

  • जो कंटेंट बच्चों के लिए ठीक नहीं है, माता-पिता उसे ब्लॉक कर सकेंगे।
  • ओटीटी और डिजिटल खबरों के कंटेंट के लिए श्रेणियां बनेंगी, फिल्मों जैसा कोड भी बनेगा।
  • ओटीटी, डिजिटल न्यूज के लिए तीन चरणों की प्रणाली बनेगी। इन्हें अपनी कंपनी की जानकारियां देनी होंगी। रजिस्ट्रेशन की बाध्यता नहीं है, पर जानकारी देनी ही होगी।
  • ओटीटी के लिए पैरेंटल लॉक यानी ऐसी व्यवस्था करनी होगी, जिससे अभिभावक अपने बच्चों के लिए ऐसे कंटेंट को ब्लॉक कर सकें, जो उनके लिए ठीक नहीं है।
  • समाचार पोर्टल्स के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश जैसे व्यक्ति की अध्यक्षता में एक सरकारी समिति भी बनेगी। यह प्रकाशक को चेतावनी, सामग्री हटाने जैसे निर्देश दे सकेगी।सरकार अंतर विभागीय समिति बनाकर निगरानी करेगी।
  • फिल्मों की तरह ही नेटफ्लिक्स, अमेजन जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म को भी उम्र के लिहाज से कंटेंट तय करना होगा। यानी कौन सा कंटेंट किस आयु वर्ग के लिए उचित है। इसे 13+, 16+ और ए श्रेणी में बांटा जाएगा।

सोशल मीडिया: विवादित पोस्ट 24 घंटे में हटाएं, पहले इसे किसने भेजा ये बताना होगा

  • सोशल मीडिया कंपनी को किसी आपत्तिजनक, शरारती पोस्ट या संदेश को सबसे पहले किसने लिखा इसकी जानकारी मांगने पर देनी होगी। ये व्यवस्था केवल भारत की अखंडता, एकता और सुरक्षा, दुष्कर्म जैसे मामलों में लागू होगी।
  • शिकायत निपटारे के लिए तंत्र बनाना होगा। एक भारतीय अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, इसका नाम भी बताना होगा। इस अधिकारी को 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करनी होगी और इसका निपटारा 15 दिन में करना होगा।
  • यूजर के सम्मान खासतौर पर महिलाओं के सिलसिले में, अगर किसी की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट की जाती है तो शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर कंटेंट हटाना होगा।
  • कंपनी को यूजर को बताना होगा उसका कंटेंट क्यों हटाया जा रहा है, उसका पक्ष भी सुनना होगा। प्लेटफॉर्म में यूजर रजिस्ट्रेशन का वॉलेंटरी वेरिफिकेशन सिस्टम बनाना होगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर होगी इस तरह से सख्ती, यूजर्स के लिए भी जरूरी

  • नए दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी आपत्तिजनक पोस्ट के मामले में सोशल मीडिया कंपनियों को यह बताना होगा कि पोस्ट सबसे पहले किसने शेयर की। अगर पोस्ट भारत के बाहर से की गई है तो ये बताना होगा कि भारत में इसे सबसे पहले किसने जारी किया। यह नियम जितना कंपनियों के लिए है उतना ही यूजर्स के लिए भी। किसी भी तरह की पोस्ट करने से पहले यूजर को यह देखना होगा कि उसमें कुछ आपत्तिजनक तो नहीं है। क्योंकि ऐसी स्थिति में गिरफ्तारी भी हो सकती है।
  • नए नियमों में देश की संप्रभुता या सुरक्षा से जुड़े मामलों यहां तक कि कानून-व्यवस्था, विदेश नीति अथवा दुष्कर्म जैसे मामलों में भी जानकारी साझा करने की व्यवस्था की गई है। इसका साफ अर्थ है कि यूजर्स को बहुत ही सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि इस तरह के किसी मामले के सामने आने पर कंपनी को संबंधित पोस्ट के मूल स्रोत की जानकारी देनी होगी। खासतौर पर उन मामलों में जिनमें अपराध सिद्ध होने पर 5 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
  • इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर वेरिफिकेशन की व्यवस्था शुरू करनी होगी। इसके लिए एसएमएस या ओटीपी के जरिए यूजर का वेरिफिकेशन किया जा सकता है। मतलब अगर आप अपना फोन नंबर या कॉन्टैक्ट की जानकारी साझा नहीं करना चाहते हैं तो हो सकता है कि आने वाले समय में आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल ही न कर पाएं। सरकार ने इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को वॉलंटियरी वेरिफिकेशन मैकेनिज्म तैयार करने को कहा है।
  • सरकार की ओर से जारी किए गए इन दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है, यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ कंप्लायंस अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। यह अधिकारी भारत का निवासी ही होना चाहिए। इसके साथ ही एक नोडल संपर्क अधिकारी नियुक्त करना होगा, जिससे सरकारी एजेंसियां कभी भी संपर्क कर सकें। यह अधिकारी भी भारतीय होना चाहिए। इसके जरिए सरकार की मंशा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उन्मुक्त होने से रोकना है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए होगी कुछ ऐसी स्थिति, पैरैंटल लॉक की सुविधा

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को लेकर दिशा-निर्देश कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीष या इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ की अध्यक्षता में एक निकाय बनाया जाए। ये निकाय शिकायतों की सुनवाई करेगा और उन पर आए फैसले मानेगा। यह वैसे ही होगा जैसे टीवी पर गलत जानकारी प्रसारित होने पर चैनल खेद जताते हैं। ऐसा करने के लिए उनसे सरकार नहीं कहती है।
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया को यह जानकारी देनी होगी कि उन्हें जानकारी कहां से मिलती है। इसके साथ ही शिकायतों को निपटाने के लिए एक व्यवस्था बनानी होगी। इसके तहत शिकायत का हल करने के लिए अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, उसकी संपर्क जानकारी देनी होगी और तय समय में समस्या का समाधान करना होगा। अभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर शिकायतों के हल के लिए बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को अपना कंटेंट पांच श्रेणियों में विभाजित करना होगा। ये पांच श्रेणियां U (सबके लिए), U/A 7+ (सात वर्ष के अधिक आयु वालों के लिए), U/A 13+ (13 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए), U/A 16+ (16 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए) और A (वयस्क) हैं। U/A 13+ से ऊपर की श्रेणी के लिए पैरेंटल लॉक की सुविधा देनी होगी, ताकि बच्चों को इससे दूर रखा जा सके और जो कंटेंट जिसके लिए उचित है वही उस कंटेंट को देख सके।
  • इसके साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म को ऐसी व्यवस्था तैयार करनी होगी जिससे यह पता लगाया जा सके कि यूजर की उम्र वयस्क किसी श्रेणी का कंटेंट देखने लायक है या नहीं। दिशा-निर्देशों में इसके लिए सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से वेरिफिकेशन मैकेनिज्म तैयार करने के लिए कहा है। मतलब अगर किसी की आयु कम है और वह ऊपर की श्रेणी का कंटेंट देखना चाहता है, तो यह व्यवस्था बनने के बाद संभव नहीं होगा। अभी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।

साल 2018 में हुई शुरुआत, सुप्रीम कोर्ट ने दिया दिशा-निर्देश बनाने का आदेश

महिलाओं की निजी तस्वीरों से छेड़छाड़ वाली सामग्री 24 घंटे में हटानी होगी

सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई ऐसी सभी सामग्री संबंधित कंपनी को शिकायत मिलने के 24 घंटे में हटानी होगी, जिसमें किसी यूजर खासतौर से महिलाओं की निजी तस्वीरें होंगी या तस्वीरों को फर्जी ढंग से तैयार किया गया होगा। पीड़ित व्यक्ति की ओर से कोई अन्य व्यक्ति भी यह शिकायत कर सकता है।

ओटीटी पर तत्काल, सोशल मीडिया पर नोटिफिकेशन के तीन महीने में लागू होंगे नियम

सरकार इसके लिए जल्द ही गजट नोटिफिकेशन निकालेगी। इसके बाद सोशल मीडिया कंपनियों को व्यवस्था बनाने के लिए तीन महीने दिए जाएंगे, ताकि उन्हें अपनी प्रक्रिया सुधारने के लिए वक्त मिल सके। यह समय पूरा होते ही ये दिशा-निर्देश लागू हो जाएंगे। वहीं, ओटीटी और डिजिटल न्यूज के लिए कानून उसी दिन प्रभाव में आ जाएंगे, जिस दिन सरकार नोटिफिकेशन जारी करेगी।

तय समयसीमा में शिकायतों के समाधान के लिए मिले उचित मंच

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सोशल मीडिया कंपनियों का भारत में कारोबार करने और भारतीयों को सशक्त बनाने के लिए स्वागत है। हम आलोचना और असहमति का स्वागत करते हैं। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं को तय समयसीमा में उनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक उचित मंच दिया जाए।

डिजिटल मीडिया को अफवाह फैलाने का हक नहीं

प्रसाद ने कहा, डिजिटल मीडिया पोर्टलों को अफवाह फैलाने का कोई अधिकार नहीं है। मीडिया की आजादी अंतिम नहीं है, इन पर तर्कसंगत पाबंदी भी हैं। मीडिया, डिजिटल मीडिया और ओटीटी पर सामग्री सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रशासित होंगी।

ओटीटी पर फोकस: सामग्री की शिकायत का निपटारा 15 दिन में करना होगा

ओटीटी की सामग्री पर निगरानी और शिकायत के लिए तीन चरण की व्यवस्था बनाई गई है। पहले चरण में प्लेटफॉर्म खुद सामग्री की समीक्षा करेंगे। आपत्तिजनक सामग्री को लेकर शिकायतें सुनने के लिए प्लेटफॉर्म को शिकायत समाधान अधिकारी तैनात करने होंगे, जो शिकायत का 15 दिन में निस्तारण करेंगे। दूसरे चरण में इन प्लेटफॉर्म द्वारा बनाए गए निकाय सामग्री की समीक्षा करेंगे। ये निकाय एक से अधिक हो सकते हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के पूर्व जज शामिल हो सकते है। इनमें सदस्यों की संख्या छह से अधिक नहीं होगी। तीसरा चरण सरकारी एजेंसियों के अधीन होगा। इसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नियमों से चलाया जाएगा।

सोशल मीडिया के लिए दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत 2018 में महसूस हुई थी। 11 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म से संबंधित सामग्री डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश बनाए। 24 दिसंबर 2018 को इसका ड्राफ्ट तैयार हुआ था।

किसान आंदोलन के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में आया दिशा-निर्देशों का मुद्दा

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किले पर हुई हिंसा के दौरान सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों पर सख्ती की। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया समेत अनेक मंचों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (फ्रीडम ऑफ स्पीच) के सही और गलत इस्तेमाल को लेकर बहस लंबे समय से चली आ रही थी।

सरकार ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों के रुख पर कड़ा एतराज जताया था। सरकार ने कहा था कि अगल अमेरिकी संसद पर हमला होता है जो सोशल मीडिया पुलिस कार्रवाई का समर्थन करता है। वहीं, लाल किले पर हमला होता है तो यह दूसरी तरह से काम करने लगता ही। यह स्वीकार्य नहीं है।

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