दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के मामलों को डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। इसमें कोरोना की आई दो लहरों ने लोगों को स्पष्ट रूप से समझा है- सेहत है संग तो ही जीत सकते हैं हर जंग। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान लोगों को संक्रमण की गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ा। एक समय देश में अपर्याप्त मालूम हो रही चिकित्सा सुविधाओं के बीच सदियों पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा ने लोगों का ध्यान न सिर्फ अपनी ओर आकर्षित किया, साथ ही इससे लोगों को लाभ भी मिला।
आयुर्वेद वर्षों से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के निवारण और लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को ठीक करने की दिशा में काम कर रहा है। कोरोना के विकट अंधाकर में इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति ने लोगों को आशा की नई किरण दिखाई। कोरोना काल में आयुर्वेद विशेषज्ञों ने अनुसंधान और तमाम अध्ययनों के आधार पर एक ऐसी दवा पेश की है, जिससे मात्र एक सप्ताह में कोरोना के लक्षणों को ठीक करने का दावा किया जा रहा है। खास बात यह है कि इससे संबंधित किए गए तमाम अध्ययनों में भी वैज्ञानिकों को बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं। आइए इस दवा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कोरोना और आयुर्वेद
कोरोना में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति काफी कारगर साबित हो सकती है। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक, डॉ तनुजा नेसरी बताती हैं कि आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं जो स्वाद में तो कड़वी होती हैं लेकिन कोरोना के उपचार में काफी कारगर साबित हो रही हैं। तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा, नीम, मुलेठी जैसी औषधियां न सिर्फ इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक हैं, साथ ही इनमें मौजूद एंटीवायरल गुण संक्रमण को कम करने में भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन्हीं औषधियों पर आधारित अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने कोरोना काल में आयुष-64 दवा लोगों के लिए उपलब्ध कराई, जिसके अद्भुत परिणाम देखने को मिले।
आयुष-64 दवा कोरोना में लाभकारी
सीसीआरएएस के निदेशक जनरल डॉ एन श्रीकांत ने बताया कि हाल के वर्षों में आयुष मंत्रालय ने प्रमाण आधारित चिकित्सा प्रस्तुत करने की दिशा में तेजी से काम किया है। आयुष मंत्रालय ने आयुष रिसर्च एंड डवेलपमेंट टास्क फोर्स का गठन किया है, इसे प्रो. भूषण पटवर्धन के नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है। इस कमेटी ने कई सारी औषधियों का परीक्षण किया है। इसी क्रम में कोरोना के रोगियों के लिए आयुष-64 दवा पेश की गई।
6-7 दिनों में कम हो सकते हैं लक्षण
डॉ एन श्रीकांत बताते हैं कि आयुष-64 को लेकर किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस दवा का सेवन कोरोना के एसिम्टोमैटिक से लेकर माइल्ड-माडरेट रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। रोगियों को स्टैंडर्ड केयर के साथ आयुष-64 दवा देने से काफी लाभ के साक्ष्य मिले हैं। इस दवा को लेने से 6-7 दिनों में कोविड-19 के लक्षणों को कम होते देखा गया है। एक सप्ताह तक इस दवा का सेवन करने वाले लोगों का आरटी-पीसीआर भी निगेटिव देखने को मिला।
पोस्ट कोविड लाभ
डॉ एन श्रीकांत बताते हैं कि कई संस्थानों के साथ मिलकर कोरोना के इलाज के संबंध में अब तक 122 क्लीनिकल स्टडी किए जा चुके हैं। इसमें कोविड-19 जैसे रोगों की रोकथाम और मैनेजमेंट से संबंधित 60 अध्ययन शामिल हैं। इन अध्ययनों के दौरान रोगियों में आयुष-64 दवा के स्पष्ट लाभ देखने को मिले। इस दवा को लेकर किए गए अध्ययनों का प्री-प्रिंट भी प्रकाशित किया जा चुका है। खास बात यह है कि इस दवा से न सिर्फ कोरोना रोग को ठीक किया जा सकता है, साथ ही कोरोना के बाद रोगियों को होने वाली तमाम समस्याओं ( नींद और पेट की समस्या और तनाव-घबराहट) को भी इससे दूर किया जा सकता है।
नोट: यह लेख अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक, डॉ तनुजा नेसरी और सीसीआरएएस के निदेशक जनरल डॉ एन श्रीकांत द्वारा से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है। आयुष मंत्रालय और राष्ट्रीय आयुर्वेदिक विद्यापीठ के साथ मिलकर किए गए पहल के क्रम में आयोजित वेबिनार में विशेषज्ञों का पैनल शामिल हुआ। इस लेख उसी चर्चा का अंश है।
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