क्या देसी घी (Desi Ghee) खाने से मोटापा बढ़ता है? वाकई देसी घी हार्ट की समस्याओं में फायदेमंद साबित होता है? क्या देसी घी के सेवन से स्किन चमकदार होती है? देसी घी बच्चों को खिलाया जा सकता है? ऐसे कई सवाल देसी घी के बारे में सामने आते रहते हैं, जिनके जवाब जानना बेहद जरूरी है।
आइए जानते हैं देसी घी के बारे में सबकुछ?
-देसी घी बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सही रखता है और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है, इसलिए अगर आप कोलेस्ट्रॉल की समस्या से परेशान हैं, तो अपनी डाइट में देसी घी जरूर लें और अगर यह गाय का देसी घी हो बहुत अच्छा। हां, इसकी मात्रा जरूरत से ज्यादा न हो। देसी घी का संतुलित इस्तेमाल ही करें।
-देसी घी में कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल और पोटेशियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। देसी घी बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल करता है। कोलेस्ट्रॉल के कंट्रोल में रहने से हार्ट सही तरीके से काम करता है और दिल से जुड़ी किसी तरह की बीमारी होने की संभावना बेहद कम हो जाती है। देसी घी में विटामिन K-2 की भी मात्रा होती है, यह विटामिन ब्लड सेल में जमा कैल्शियम को हटाने का काम करता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है।
-नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) की रिपोर्ट में भारतीय वैज्ञानिकों ने दावा किया कि देसी घी न केवल गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है बल्कि इससे कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है। रिपोर्ट में डॉक्टर विनोद कंसल ने बताया कि गाय के देसी घी से कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA) का नैचुरल सोर्स है, जिसके कई फायदे हैं।
-देसी घी ओमेगा- 3 फैटी एसिड्स का नैचुरल सोर्स है, जो LDL (low-density lipoprotein) कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है। गाय का देशी घी एंटी-ऑक्सीडेंट होता है।
ब्यूटी टिप्स से लेकर हेल्दी हार्ट तक, जानें देसी घी के कई उपयोग
झुर्रिया दूर करने में मददगार: देसी घी की कुछ बूंदे लेकर इन्हें झुर्रियों वाली जगह पर लगाएं। 15 से 20 मिनट के बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें। इस उपाय से झुर्रियां कम होने के साथ ही स्किन भी स्वस्थ्य होगी।
ड्रायनेस को ऐसे दूर भगाता है देशी घी: देसी घी की कुछ बूंदे मलाई में मिला लें। दोनों का मिश्रण बनाने के बाद इसे चेहरे या हाथ-पैरों पर लगाएं और करीब आधे घंटे बाद पानी से स्किन धो लें। हफ्ते में कम से कम तीन बार ऐसा करें, ड्रायनेस हमेशा के लिए दूर जाएगी।
आंखों के नीचे काले घेरे/डार्क सर्किल: अगर आपके डार्क सर्किल हैं तो सोने से पहले आंखों के नीचे देसी घी लगाकर थोड़ी देर मसाज करें। कुछ दिनों में आप काले घेरे से मुक्ति पा जाएंगे।
कई गंभीर रोगों से बचाता है:
-देसी घी में विटामिन ए, डी, ई और के की भरपूर मात्रा होती है। यह कई रोगों से हमें बचाता है। देसी घी के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है। यह गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल कम करता है। देसी घी के सेवन से हार्ट की समस्याएं भी नहीं होती हैं, क्योंकि यह हार्ट ब्लॉकेज को दूर करता है।
-यदि हाथ-पैर में जलन हो रही है तो देसी घी का मालिश करने से काफी आराम मिलता है।
-कभी बार बहुत ज्यादा हिचकी आने लगती हैं। कुछ लोगों को बहुत ज्यादा हिचकी आती हैं। ऐसे में आधा चम्मच गाय का देशी घी खाने से परेशानी दूर हो जाती है।
-हार्ट के मरीजों के लिए भी देसी घी काफी फायदेमंद है। हार्ट के मरीजों को डॉक्टर्स चिकनाई खाने से मना कर देते हैं। ऐसे लोग गाय का देसी घी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर से यह सलाह जरूर लें कि कितनी मात्रा में वे इसका सेवन कर सकते हैं।
-आयुर्वेद के अनुसार, गाय के देसी घी की कुछ बूंदें अगर आप प्रतिदिन तीन बार नाक में डालेंगे तो इससे त्रिदोष यानी वात-पित्त और कफ को ठीक रहता है।
-देसी घी में विटामिन ए, विटामिन के-2, विटामिन डी, विटामिन ई जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये सभी तत्व हार्मोन निर्माण और संतुलन में मददगार होते हैं। गर्भवती स्त्री हो या स्तनपान कराने वाली माताएं इनके लिए देसी घी काफी फायदेमंद होता है।
देसी घी बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद अच्छा
-देसी घी फैट का स्वस्थ स्रोत है और बहुत अधिक मात्रा में उर्जा भी देता है, जो प्रारंभिक अवस्था के दौरान बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए जरूरी है।
-देसी घी आसानी से पच जाता है और बच्चे के दिमाग के विकास में भी मदद करता है।
-बच्चों को देसी घी खिलाते वक्त उनके वजन के हिसाब से ही मात्रा तय करें। यदि वजन पहले से ही ज्यादा है तो कम मात्रा में देसी घी दें और यदि बच्चे का वजन कम है तो उसे थोड़ी ज्यादा में देसी घी दिया जा सकता है।
-गाय का देसी घी बच्चों की नाक में डालने से एलर्जी से निजात मिल जाती है।
-देसी घी में हाई-न्यूट्रिशनल वेल्यू है। इसे खाने से बच्चे का वजन भी बढ़ता है और उन्हें ताकत भी मिलती है।
-8 महीने के बाद बेबी की डाइट में देसी घी का उपयोग शुरू किया जा सकता है। खिचड़ी, चावल या दलिया में देसी घी डालकर दिया जा सकता है। यहां तक की उनकी रोटी पर भी देसी घी डालकर उन्हें खिला सकते हैं।
-पहला साल बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। स्वस्थ मस्तिष्क के विकास के लिए आनंदमय वातावरण तथा पोषक तत्वों से युक्त आहार बहुत आवश्यक होता है। मस्तिष्क का 60% भाग फैट से बना होता है। ऐसे में देसी घी बेहद जरूरी है।
-गाय के देसी घी से शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है।
-शिशु के जीवन के पहले तीन साल विकास की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन तीन सालों में शिशु बीमार भी सबसे ज्यादा पड़ता है, इसलिए देसी घी का प्रयोग काफी लाभकारी होता है।
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