भारत में बैन कर दी गईं ये फिल्में: किसी में थे जबरदस्त बोल्ड सीन तो कोई आतंकवादी कंटेंट की वजह से नहीं हुई रिलीज

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Banned Films

भारत के थिएटर्स में रिलीज होने वाली हर फिल्म को पहले सेंसर बोर्ड के सामने से गुजरना होता है। सेंसर बोर्ड इस फिल्म को देखता है और अगर कुछ इसमें विवादित लगता है तो उसे मेकर्स से हटाने के लिए कहा जाता है। फिल्म को इसके बाद कैटेगरी सर्टिफिकेट दिया जाता है। फिर कहीं जाकर फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो पाती है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे जिनपर इतना हंगामा हुआ कि उन्हें भारत में बैन कर दिया गया।

पिंक मिरर

भारत जैसे देश में समलैंगिकता का मुद्दा हमेशा ही संवेदशील रहा है। इसी पर आधारित वर्ष 2003 में रिलीज हुई फिल्म ‘पिंक मिरर’ को बैन कर दिया गया। पश्चिमी देशों की तरह भी अब भारत में समलैंगिक लोग खुल कर सामने आ रहे हैं लेकिन फिल्म जब बनकर तैयार हुई तब ऐसा दौर नहीं था। इस फिल्म का निर्देशन श्रीधर रंगायन ने किया था।

अनफ्रीडम

इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है फिल्म ‘अनफ्रीडम’ (Unfreedom) का। इस फिल्म का निर्माण साल 2014 में किया था। इसे इसलिए बैन कर दिया गया क्योंकि यह समलैंगिक रिश्तों पर आधारित थी। फिल्म में ज्यादा अश्लीलता होने के वजह से सेंसर बोर्ड ने इसे रिलीज करने की मंजूरी नहीं दी थी। फिल्म अनफ्रीडम का निर्देशन अमित कुमार ने किया था।

फायर

दीपा मेहता के निर्देशन में बनी फिल्म ‘फायर’ दो महिलाओं के समलैंगिक रिश्तों पर आधारित थी। यह मध्यवर्गीय परिवार में उन दो महिलाओं की कहानी थी जो रिश्ते में देवरानी और जेठानी होती हैं और एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाती हैं। कई संगठनों से इस फिल्म का विरोध किया था, जिसके चलते इस पर बैन लगा दिया गया।

सिंस

साल 2005 में आई फिल्म सिंस यशराज बैनर तले बनी थी। फिल्म की कहानी एक जवान लड़की और पादरी के प्रेम प्रसंग पर आधारित थी। इस फिल्म को लेकर ईसाई धर्म के लोगों ने आपत्ति जताई थी। इसी वजह से फिल्म पर बैन लगा दिया गया।

वाटर

दीपा मेहता की फिल्म ‘वाटर’ में विधवा महिलाओं के जीवन से जुड़ी स्याह दुनिया को दिखाया गया है। इस फिल्म को अकादमी अवॉर्ड 2007 के लिए नॉमिनेट भी किया गया। लेकिन विवादों में आने कारण इसे बैन कर दिया गया।

बैंडिट क्वीन

फिल्म बैंडिट क्वीन की चर्चा तो आज भी पूरे बॉलीवुड में है। यह फिल्म एक ऐसी औरत की कहानी पर आधारित है जिसकी समाज के कई लोगों ने आबरू लूटी और इस हादसे के बाद वह महिला फूलन देवी के रूप में चंबल घाटी में डाकू बनकर अपना बदला लेने लगी थी

कामसूत्र 3डी

फिल्म कामसूत्र 3डी में कामुक दृश्य की भरमार होने की वजह से इसे सेंसर बोर्ड ने हरी झंडी ही नहीं दी और यह फिल्म यूट्यूब पर ही सिमट कर रह गई। फिल्म 2013 में रिलीज होनी थी और इसे रुपेश पॉल ने डायरेक्ट किया था।

यूआरएफ प्रोफेसर

फिल्म यूआरएफ प्रोफेसर को भी बोल्ड दृश्यों की वजह से सेंसर बोर्ड से हरी झंडी नहीं मिल पाई। इस फिल्म में फेमस एक्टर शर्मन जोशी के अलावा मनोज पहवा और अनंत माली जैसे एक्टर भी थे। फिल्म साल 2001 में रिलीज होनी थी। फिल्म के निर्माता पंकज आडवानी थे।

पांच

फिल्म पांच भी उन विवादित फिल्मों में से एक है जो परदे तक ना पहुंच सकी। सेंसर बोर्ड के लाख कट लगाने के बाद भी फिल्म रिलीज ना हो सकी और इसे बैन करना पड़ा। फिल्म के बैन होने का कारण अश्लीलता नहीं बल्कि अत्यधिक हिंसा और नशाखोरी थी। फिल्म के निर्देशक अनुराग कश्यप थे।

द पेंटेंड हाउस

फिल्म द पेंटेंड हाउस सेंसर बोर्ड में जाते ही बैन हो गई। क्योंकि इस फिल्म की कहानी भी एक बूढ़े शख्स और जवान लड़की के बीच संबंधों पर आधारित थी। फिल्म साल 2015 में आई थी।

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