- Advertisement -
सेलिब्रिटीNavya Singh लड़के से लड़की बनी मॉडल की कहानी: 12 साल की...

Navya Singh लड़के से लड़की बनी मॉडल की कहानी: 12 साल की उम्र में हुआ लड़की होने का एहसास, अब मॉडल बन चार साल से मिस ट्रांसक्वीन की कर रहीं ब्रांडिंग

Related

Navya Singh ‘मैं बिहार के कटिहार में सिख फैमिली में पैदा हुई। एक मॉडल, एक्टर और मिस ट्रांसक्वीन इंडिया ब्यूटी पेजेंट की ब्रांड एम्बेसडर हूं। मैं पैदा लड़के के शरीर में हुई थी, पर जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया औरों से खुद को अलग फील करने लग गई। मेरी आत्मा लड़की की है और बॉडी कहीं न कहीं एक लड़के की थी। इसे लेकर काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बिहार के एक छोटे से गांव से हूं, तब उस वक्त वहां पर इतना ज्यादा एक्सेप्टेशन नहीं थी।

उम्र 14-15 साल की रही होगी, एक दिन मां के साथ बैठी थी। मां से कहा कि मम्मा! आपसे कुछ कहना चाहती हूं। मैं इस बॉडी में खुश नहीं हूं। मैंने हमेशा से फील किया है कि एक लड़की हूं। मेरा यह शरीर मेरी आत्मा को मैच नहीं करता है। मैं लड़की बनकर अपनी जिंदगी जीना चाहती हूं। मां ने कहा- बेटा! बातें करना तो बहुत अच्छा लगता है, पर जब तुम इस चीज को कंप्लीट करने जाओगी, तब संघर्ष करना पड़ेगा और इसमें तुम्हारा कोई साथ नहीं देगा। शायद तुम्हारे अपने भी तुम्हारा साथ छोड़ देंगे। मां की यह बात कहीं न कहीं मेरे दिल को लगी थी। यह कहना है कि मिस ट्रांसक्वीन इंडिया ब्यूटी पेजेंट की ब्रांड एम्बेसडर, एक्टर, मॉडल नव्या सिंह का।’

Read Also: बलात्कार के झूठे मामलों में फंसे पुरुषों की झकझोर देने वाली कहानी, दीपिका की डॉक्यूमेंट्री “इंडिआस सन्स – India’s Sons” में निशाने पर कानून

आगे पढ़िए, नव्या की लड़का से लड़की बनने की आपबीती कहानी, उन्हीं की जुबानी:

कहीं मां-बाप के साथ जाती थी, तब मेरे सामने ही उनका मजाक उड़ाया जाता था

बचपन में बच्चे के जेंडर को लेकर कोई बात भी नहीं करता है। धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी, तब मेरा बिहेवियर लड़कियों जैसा था। बड़े होने के साथ लोग मेरा मजाक उड़ाने लगे। मैं समझ नहीं पाती थी कि लोग मेरा मजाक क्यों उड़ा रहे हैं। गांव में लोगों ने मुझे मजाक के रूप में लिया। बच्चे कहते थे कि तू तो बिना मतलब का लड़का पैदा हो गया, तू लड़की है, तुझे लड़कियों के साथ उठना-बैठना चाहिए। मुझे पहली बार 12 साल की उम्र में मुझे रियलाइज हुआ कि लड़की हूं। मां-बाप के साथ कहीं जाती थी, तब तब मेरे सामने ही मां-बाप का मजाक उड़ा दिया जाता था। मेरे मां-बाप को बहुत शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है।

Related

शुरुआत में पिता ने नहीं किया था सपोर्ट

मैं जर्नलिस्ट की फैमिली से बिलॉन्ग करती हूं, लेकिन मुश्किल इस बात की थी कि अपनी बात लोगों तक कैसे पहुंचाऊं! मेरी जिंदगी में मां का हमेशा से सपोर्ट रहा है, पर पापा उन दिनों ज्यादा सपोर्टिव नहीं थे। पापा की वजह से 18 साल की उम्र में मुंबई आ गई। B Com की पढ़ाई भी कंप्लीट नहीं कर पाई, क्योंकि उस वक्त मेरी फैमेनिटी की वजह से पापा ज्यादा पसंद नहीं करते थे। मेरा उठना-बैठना, चलना-फिरना, खाना-पीना सब लड़कियों की तरह था, जबकि पापा को ये चीजें बिल्कुल पसंद नहीं थी। पापा ने बोला कि तुम यहां रहोगे, तब और खराब हो जाओगे। इससे अच्छा है कि तुम मुंबई अपनी मौसी के पास चले जाओ।

मां-बाप 18 साल तक नहीं समझ पाए, मौसी 18 घंटे में समझ गई

18 साल की उम्र में मौसी के पास मुंबई आ गई। यहां मेरी रियल ट्रांस वुमेन की जर्नी शुरू हुई। जो बात 18 साल तक मेरे मां-बाप नहीं समझ पाए, वह बात मेरी मौसी 18 घंटे में समझ गई कि मैं किन चीजों से होकर गुजर रही हूं। मेरी मौसी मुझे लेकर NGO और डॉक्टर के पास ले गईं। हमारी काउंसलिंग हुई। डॉक्टर ने मौसी से मेरे बारे में कहा कि यह गलत शरीर में है। इसको इसकी जिंदगी बतौर वुमेन जीने दी जाए, तब इसकी जिंदगी ज्यादा आसान हो जाएगी। आज की डेट में साइंस इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि हम चीजों को सही कर सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर हॉर्मोंस थैरेपी लेना शुरू किया। इससे बदलाव होने लगा और मैं धीरे-धीरे लड़की बनने लगी। आज मुझे लड़की बने कम से कम 10 से 12 साल हो चुके हैं।

डॉक्टर के कमरे से पापा बाहर आए, तब पापा की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे

मैं घर में सबसे बड़ी संतान थी। पिताजी को लगा था कि आने वाले वक्त में उस घर का कुलवंश बनूंगी (उस वक्त तो लड़का थी, तब उन्हें लगा कि बनूंगा), लेकिन जब पापा को पता चला कि मेरी थिंकिंग कुछ और है, तब उन्हें बहुत बड़ा झटका और सदमा लगा। पापा उस चीज से खुश नहीं थे। लेकिन कहते हैं न कि भगवान ने कुछ लिखकर भेजा होता है। मैं पापा को लेकर मुंबई आई। पापा का डॉक्टर से कंसल्टेशन कराया। मेरे मॉम-डैड की काउंसलिंग हुई। डेढ़-दो घंटे के बाद जब डॉक्टर के कमरे से पापा बाहर आए, तब पापा की आंखों में पश्चाताप के आंसू थे। पापा ने खुद गले लगाकर बोला कि चाहे तुम लड़का हो, चाहे तुम लड़की हो, तू मेरा बच्चा है। हम अपने इस बच्चे को जिंदगी से दूर नहीं होने देंगे। मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात थी। आज भी उस मोमेंट को सोचती हूं, तब मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं, क्योंकि मैं जानती हूं कि मां-बाप से दूर होना कितने तकलीफ की बात होती है। उसी समय मेरे लिए सबसे खुशी की बात यह रही कि मेरे पापा ने मुझे एक्सेप्ट कर लिया।

Related

कठिन वक्त तब होता है, जब खुद की आइडेंटिटी से लड़ाई लड़ते हो

सबसे कठिन वक्त तब होता है, जब आप खुद की आइडेंटिटी से जिंदगी में लड़ाई लड़ते हो। खुद को खुद से पहचानने की कोशिश करते हो, वही सबसे बड़ी लड़ाई होती है। खुद को खुद से जानना यानी कि मैं कंफ्यूज्ड हूं कि मैं क्या हूं? न तो मैं लड़का हूं और न लड़की हूं। मेरी बॉडी कुछ और है और मेरी आत्मा कुछ और है, यह सबसे कठिन लड़ाई होती है। अगर उस वक्त आप जीत गए, तब जिंदगी में सबसे बड़े खिलाड़ी और बादशाह कहलाते हो।

आपका बच्चा आपके शरीर का अंग है, उसे छोड़ने का गुनाह न करें

मैं सबसे यही कहना चाहूंगी कि भगवान ने सबको एक जिंदगी दी है। हम किसी को जज करने वाले कोई नहीं होते हैं। हमें प्यार से रहना चाहिए और प्यार बांटना चाहिए। आखिर में उन सभी पैरेंट्स को बोलना चाहूंगी कि यह आपके ही बच्चे हैं, इन्हें आपने ही पैदा किया है।

अगर आप उसे छोड़ेंगे, तब आप सबसे बड़े गुनहगार हैं, क्योंकि आपके बच्चे ने आपसे परमिशन नहीं मांगी थी कि मैं पैदा हूं या नहीं हूं। आपने उन्हें पैदा किया है, तब आपका पूरा हक बनता है कि वह बच्चा लाइफ में कहीं भी जा रहा है, तब उसको सपोर्ट कीजिए न कि उसे घर से बाहर निकाल दीजिए।

आज अपनी जिंदगी, बेहतरीन तरीके से जी रही हूं

Related

मुझे 2016 में इंडिया की लीडिंग मैगजीन से पहला काम बतौर मॉडल ऑफर हुआ था। उसके बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी, तब सावधान इंडिया में ट्रांस वुमेन मोना का लीड रोल मिला। आगे बढ़ते-बढ़ते एक वक्त ऐसा आया, जहां 2017 में मिस ट्रांसक्वीन इंडिया ब्यूटी पीजेंट के बारे में मुझे पता चला। ऑडिशन दिया। यह इंडिया का एकमात्र ट्रांस वुमेन ब्यूटी पीजेंट है, जो पहली बार किया गया। इस पीजेंट में पार्टिसिपेट किया, तब टॉप-5 प्रतिभागी बनी। इन लोगों ने मिस ट्रांसक्वीन का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया, जो पिछले चार सालों से इसकी ब्रांडिंग कर रही हूं। हमारी जिंदगी काफी स्ट्रगल भरी रही है। मैं ट्रांसजेंडर हूं तो जब कम्युनिटी में आई, तब मुझे पता चला कि यहां पर एजुकेशन की बहुत कमी है।

ट्रांसफॉर्मेशन के बाद घर आई, तब नई दुल्हन की तरह लोग देखने आने लगे

मेरा जब ट्रांसफॉर्मेशन हुआ, तब पहली बार घर गई। उस समय मुझे देखने के लिए बहुत लोग आ रहे थे। जिस तरह से गांव में नई दुल्हन आती है, उसी तरह देखने के लिए आते थे, उस समय मुझे हंसी आ रही थी। मुझे लग रहा था कि यह कैसा जमाना आ गया है। एक वक्त था, जब मैं रहती थी, तब लोग देखने नहीं आते थे। आज लड़की बनकर आ गई, तब लोग मुझे देखने आ गए। वह चीज मेरे लिए थोड़ा अजीब भी था, सही भी था। मुझे खुशी हो रही थी कि कम से कम लोगों को अहसास तो हुआ कि हां, मेरा अस्तित्व तो है। मैं हूं। तुम मुझे इग्नोर नहीं कर सकते।

एक बायोपिक फिल्म की है, जो सेक्स रैकेट पर है

मैंने एक बायोपिक फिल्म की है, जो कस्टम ऑफिसर एनसन थॉमस के ऊपर है। रेड लाइट एरिया में जो सेक्स रैकेट होते हैं, उन पर फिल्म बनी है। इस फिल्म का नाम प्लीज टु प्रोटेक्ट है और इसके डायरेक्टर सुरेश जडे हैं। यह बहुत जल्द ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी। मैं इंडिया की पहली ट्रांस वुमन होऊंगी, जो फिल्म में आइटम नंबर करती दिखाई दूंगी।

समझदारी से कोई जिंदगी गुजर-बसर कर सकेगा, तब शादी करने के बारे में सोचूंगी

अभी मेरे मन में शादी को लेकर कोई ख्याल नहीं है। मेरा पूरा फोकस अपने करियर को लेकर है। मुझे चाहने वाला या मेरा कोई पार्टनर बनेगा, वह समझदार आदमी होगा। वह समझदारी से अगर जिंदगी गुजर-बसर कर सकेगा, तब मैं उसके साथ शादी करने को लेकर सोच सकती हूं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular content

- Advertisement -

Latest article

More article

- Advertisement -